मंगलवार 4 नवंबर 2025 - 16:20
क़ुम अल मुकद्दस में 13 अबान यौमुल्लाह पर भव्य रैली/ बड़ी संख्या में लोगों ने शिरकत की और अत्याचार व वैश्विक अहंकार के खिलाफ नए संकल्प की पुष्टि + वीडियो

हौज़ा / क़ुम अलमुकद्दस के ईमानदार, नेता और और क्रांतिकारी लोगों ने ईरान के अन्य शहरों की तरह यौमुल्लाह 13 अबान के अवसर पर एक भव्य रैली में बड़ी संख्या में भाग लेकर इस्लामी क्रांति, क्रांति के नेताओं और शहीदों के खून के प्रति अपनी वफादारी का शानदार प्रदर्शन किया।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , क़ुम अलमुकद्दस के ईमानदार, नेता और और क्रांतिकारी लोगों ने ईरान के अन्य शहरों की तरह यौमुल्लाह 13 अबान के अवसर पर एक भव्य रैली में बड़ी संख्या में भाग लेकर इस्लामी क्रांति, क्रांति के नेताओं और शहीदों के खून के प्रति अपनी वफादारी का शानदार प्रदर्शन किया।

ईरान के अन्य क्षेत्रों की तरह, क़ुम प्रांत की जनता ने भी यौमुल्लाह 13 अबान के मौके पर जोश और उत्साह के साथ रैलियों में हिस्सा लिया। इस अवसर पर पुरुषों, महिलाओं, छात्रों, शिक्षकों, धार्मिक छात्रों और विद्वानों ने रैली के दौरान अमेरिका और इसराइल विरोधी नारों के माध्यम से अहंकारी शक्तियों के प्रति अपनी घृणा और विरोध व्यक्त किया।

प्रतिभागियों के हाथों में विभिन्न बैनर और प्लेकार्ड थे, जिन पर नारे लिखे थे: "अमेरिका मुर्दाबाद", "मुनाफिकों पर लानत", "न झुकेंगे न समझौता करेंगे, अमेरिका के खिलाफ युद्ध की घोषणा", और "परमाणु ऊर्जा हमारा अधिकार है। लोगों ने इन नारों के माध्यम से इस्लामी क्रांति के सिद्धांतों, आत्मनिर्भरता और प्रतिरोध के संदेश को एक बार फिर दुनिया तक पहुंचाया।

रैली के दौरान विभिन्न स्कूलों के छात्र-छात्राओं ने क्रांतिकारी गीत और नग़मे पेश किए, जिससे सभा के जोश और उत्साह में और वृद्धि हुई।

13 अबान, इस्लामी क्रांति के इतिहास में तीन महत्वपूर्ण घटनाओं की याद दिलाता है:

1. 1964 में इमाम ख़ुमैनी की निर्वासन,
2. 1978 में शाही शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में छात्रों की शहादत,
3. और 1979 में अमेरिकी दूतावास पर कब्ज़ा, जो ईरानी राष्ट्र की वैश्विक अहंकार के सामने दृढ़ता और ईमानी गर्व की चमकदार निशानी बने।

क्रांति के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनेई ने भी अपने हालिया संबोधन में इस दिन को ईरानी राष्ट्र के गर्व और सफलता का दिन बताते हुए कहा कि 13 अबान ने दुनिया के सामने अमेरिका का असली चेहरा बेनकाब किया और ईरानी राष्ट्र की जागरूकता और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन गया।

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